सिद्ध चौपाइयां v1 : रामायण की चमत्कारी चौपाईयां

सिया और राम

सिद्ध चौपाइयाँ प्रत्येक दिन सुनने से हमारा मन शांत होता है। पूरे दिन की ऊर्जा मिलती है। भागदौड़ भरी ज़िंदगी में 20 मिनट प्रभु में ज़रूर लगाएं। आपके सभी संकट, दुख, दर्द प्रभु श्री राम हर लेते हैं। सिय राम मय सब जग जानी, करहु प्रणाम जोरी जुग पानी। “सिय राम मय सब जग जानी” इसका अर्थ है कि…

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Siddha Chaupaiyaan v2: These miraculous Chaupaiyaan of Ramayana

सिद्ध चौपाइयां v2 जिनको आप बार बार पढेंगे

कर्म प्रधान विश्व रचि राखा ,जो जस करहि सो तस फल चाखा The meaning of this couplet written by Goswami Tulsidas is that this world or world is karma-oriented. It means that every person gets the fruits of his good and bad deeds. कर्म प्रधान विश्व रचि राखा -Karma based world created The meaning of this line is that…

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कर्म प्रधान विश्व : रामायण की ये चमत्कारी चौपाईयां

सिद्ध चौपाइयां v2 जिनको आप बार बार पढेंगे

Nectar of wisdom ! कर्म प्रधान विश्व रचि राखा ,जो जस करहि सो तस फल चाखा गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित इस चौपाई का भावार्थ है कि यह विश्व या जगत कर्म प्रधान है. इसका मतलब है कि हर व्यक्ति को अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल मिलता है. कर्म प्रधान विश्व रचि राखा इस पंक्ति का अर्थ है…

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जब हनुमान जी ने बनाया सूर्य देव को अपना गुरु, सीखीं 9 विद्याएं

जब हनुमान जी ने बनाया सूर्य देव को अपना गुरु, सीखीं 9 विद्याएं

सूर्य भगवान की रोजाना पूजा अर्चना की जाती है और रोज सूर्य देव को जल से अर्घ्य देते हैं जिससे लोगों का ज्ञान बढ़ता है. सूर्य एकमात्र प्रत्यक्ष दिखने वाले देवता हैं. हिंदू धर्मग्रंथ में बताया गया है कि हनुमान जी ने भी सूर्यदेव को अपना गुरु बनाया था और सभी वेदों का ज्ञान प्राप्त किया था. नए साल…

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रामायण में कैकसी कौन थी, इस महान महाकाव्य में उनकी भूमिका क्या थी

ऋषि विश्वश्रवा की पत्नी कैकसी

ऋषि विश्वश्रवा जो ब्रह्मा जी के पौत्र थे ने ऋषि भारद्वाज की पुत्री इलाविदा ( देवांगना) से विवाह किया था जिनसे कुबेर का जन्म हुआ। विश्वश्रवा की दूसरी पत्नी कैकसी से रावण, कुंभकरण, विभीषण और सूर्पणखा पैदा हुई थी। कैकसी को निकषा और केशिनी के नाम से भी जाना जाता है अपनी सेवा के एवज में कैकसी ने अपने…

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कौन थे मतंग ऋषि, उनका आश्रम कहाँ था?

मतंग रामायण कालीन एक ऋषि थे, जो शबरी के गुरु थे। यह एक ब्राह्मणी के गर्भ से उत्पन्न एक नापित के पुत्र थे। ब्राह्मणी के पति ने इन्हें अपने पुत्र के समान ही पाला था। गर्दभी के साथ संवाद से जब इन्हें यह विदित हुआ कि मैं ब्राह्मण पुत्र नहीं हूँ, तब इन्होंने ब्राह्मणत्व प्राप्त करने के लिए घोर…

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रामायण में वर्ण‍ित सबसे महत्वपूर्ण पर्वतों में से एक है ऋष्यमूक पर्वत

ऋष्यमूक पर्वत

ऋष्यमूक पर्वत आज के कर्नाटक राज्य के हम्पी में स्थित था। उसी स्थान पर वानर साम्राज्य किष्किंधा हुआ करता था, ऐसी मान्यता है। इस पर्वत के विषय में रामायण में बहुत विस्तार से लिखा है किन्तु ये पर्वत वास्तव में कैसे बना, इसके विषय में हमें बहुत अधिक जानकारी नहीं मिलती। हालाँकि कुछ लोक-कथाओं में हमें इस पर्वत के…

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